भूपेश मांझी/सराईपाली-मासुम चेहरा के पीछे की पूरी कहानी आज आपको बताने जा रहे है कैसे रेडी टू ईट फूड में अधिकारी 10 रुपये के भाव से लाखो कि रेडी टू ईट बेचकर शासन को चुना लगा रहे है एक समय था जब ये पूरी ब्यवस्था पर्यवेक्षक के हाथ में हुआ करता था आज हालात पूरी तरह से बदल दी गई है अधिकारी के शय पर लगातार नियमो को ताक में रख कर जमकर सिस्टम की धज्जिया उड़ाई जा रही है वही पर कार्यकर्ता सुपरवाइजर तपती धूप में मारे मारे फीर रहे है वही अधिकारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ को अपने पक्ष में लेकर रेडी टू ईट को ठिकाने लगा रहें हैं।
अधिकारी को जिला के कुर्सी से इतना प्रेम हो गया है,समझ से परे है हालांकि कार्यकता संघ के पदाधिकारी कार्यकर्ताओं को उकसा के विरोध में खड़े किये जा रहें है ताकि कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रतिमाह रेडी टू ईट फूड का कमीशन का लिफाफा पहुंचते
रहे सिर्फ 10/ प्रति पैकेट का लालच नहीं है बल्कि 7-8 लाख तक की हेरा-फेरी की होने की बात लगातार सामने आ रही है आपको बताते चले की कई ऐसे भी केंद्र है जो लगातार बंद है पर यहाँ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है ताज्जुब की बात है की अधिकारी के संज्ञान में होने के बाद कोई एक्शन नहीं लिया जाता आपको बताते चले की एक केंद्र में कम से कम 20 हजार का रेडी टू ईट जाता है, कार्यकर्ता 200 पैकेट वितरने करके 1000 रुपये अपनी जेब में और 4000 अधिकारी के जेब में भर रही है।
बाल विकास विभाग में अधिकारी अपनी जेब भरने के लिए लगातार भ्र्ष्टाचार को दे रहे बढ़ावा हर महीने पहुंच रहे है बंद लिफाफे कई केंद्र लगातार रहता है बंद भर्ती में भी लेट लतीफी किया जा रहा लापरवाही।