Raipur News रायपुर-बिलासपुर मार्ग पर स्थित ग्राम सोंड्रा में घर बनाने के लिए किए जा रहे उत्खनन के दौरान 6वीं से 9वीं शताब्दी पूर्व पांडुवंशी काल की प्राचीन बुद्ध प्रतिमा मिली है।

बलुआ पत्थर में निर्मित इस प्रतिमा की चौड़ाई 74 सेंटीमीटर, ऊंचाई 87 सेंटीमीटर और मोटाई 40 सेंटीमीटर है। कई अन्य पुरातात्विक प्रतिमाएं भी प्राप्त हुई हैं।

पुरातत्व एवं अभिलेखागार विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने बताया कि पुरातत्व विभाग की टीम के सदस्य उपसंचालक डा. पीसी पारख, डा. वृषोत्तम साहू और डा. राजीव मिंज ने ग्राम सोंड्रा जाकर निरीक्षण किया। दिलेंद्र बंछोर घर बनाने के लिए उत्खनन कार्य करवा रहे थे, इसी दौरान बुद्ध की तीन फीट की प्रतिमा का ऊपरी भाग प्राप्त हुआ है। उक्त स्थल से खारुन नदी लगभग तीन किलोमीटर पश्चिम दिशा में स्थित है। यह स्थल ग्राम के सबसे ऊंचाई वाले भाग पर स्थित है। यहां प्राचीन टीला होने के साक्ष्य दिखाई देते हैं। अधिकारियों ने बताया कि बुद्ध की प्रतिमा के माथे पर ऊर्णा (तिलक चिन्ह) अंकित है। इस आधार पर इसके ध्यानी बुद्ध होने की संभावना अधिक प्रतीत होती है। बुद्ध की यह आवक्ष प्रतिमा अपूर्ण है, जिस पर छेनी के चिन्ह साफ दिखाई दे रहे हैं।

त्रिस्तरीय निर्माण तकनीक में बनी बुद्ध प्रतिमा का यह ऊपरी भाग है। इस तकनीक का प्रयोग बलुआ पत्थर की विशाल प्रतिमाओं के निर्माण के लिए किया जाता था, जिसमें किसी प्रतिमा को तीन प्रस्तर खंडों में योजना के अनुरूप स्तरों में निर्मित कर लंबवत स्थापित किया जाता था। इस तकनीक की बनी बुद्ध प्रतिमाएं छत्तीसगढ़ के सिरपुर व राजिम और बिहार के बोधगया में भी हैं। अन्य प्रतिमाओं में भूमिस्पर्श मुद्रा में बुद्ध, उपासक, अज्ञात स्थानक प्रतिमा, योगिक ध्यानी मुद्रा में बुद्ध, ललितासन मुद्रा तारा, स्थानक बोधिसत्व के साथ ही चार शिवलिंग, चार खंडित पायदार सिलबट्टे, एक प्रणाल युक्त प्रतिमा पीठ, कुछ खंडित प्रतिमाएं व स्थापत्य खंड शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि स्थल निरीक्षण करनें पर यहां अन्य प्रतिमाओं के होने की भी जानकारी प्राप्त हुई है, जो कि निकट ही में स्थित मंदिर में तथा मंदिर के बगल में बने चबूतरे पर स्थापित हैं। उक्त स्थल के पुरावशेष पांडुवंशी काल के (6वीं से 9वीं शताब्दी ई.) प्रतीत हो रहा है।

By Shivani