राजधानी रायपुर के सबसे पुराने गोलबाजार में पिछले दो साल से पोल गाड़कर ट्रांसफार्मर लगाने का इंतजार बिजली विभाग कर रहा है। दरअसल गोलबाजार की दीक्षित गली और पंजाब ज्वेलर्स के सामने बिजली ट्रांसफार्मर लगाने का प्रस्ताव मंजूर किया जा चुका है, लेकिन कुछ लोगों के विरोध के कारण ट्रांसफार्मर लगाया नहीं जा सका है, जबकि बिजली कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि इसके लगने से डेढ़ सौ परिवारों को बेहतर बिजली सुविधा मिल पाती।
वहां पर दो साल से डीपी तैयार है, लेकिन ट्रांसफार्मर स्थापित न होने से उपभोक्ताओं को फायदा नहीं मिल पा रहा है। शहर में ऐसे कई और मामले हैं, जहां से ट्रांसफार्मरों की शिफ्टिंग की योजना है, लेकिन किसी न किसी दिक्कत की वजह से काम रुका हुआ है।
शहर भर में बिजली ट्रांसफार्मर की आड़ में कब्जा जमाने का खेल चल रहा है। ट्रांसफार्मर को घेरकर आसपास ठेले, खोमचे, चश्मा, गमछा आदि दुकानें रातोंरात खुल जाती हैं। कब्जे के इस खेल में जनप्रतिनिधियों को भी संरक्षण होने से निगम प्रशासन भी कब्जा हटाने से परहेज करता है।

निगम के एक अधिकारी ने नाम न छापने पर स्वीकार किया कि सड़क, फुटपाथ और बिजली ट्रांसफार्मर के आसपास अवैध कब्जा कराने में दुकानदारों का साथ देते हैं। जब रहवासी इसकी शिकायत करते हैं, तब कार्रवाई करने निगम की उड़नदस्ता मौके पर पहुंचता है तो जनप्रतिनिधि फोन पर कब्जा हटाने की कार्रवाई न करने के लिए दबाव बनाते हंै।
यहां सबसे अधिक कब्जे
शहर के सदर बाजार, मालवीय रोड, गोलबाजार, जीई रोड, बूढ़ातालाब, बूढ़ापारा, तात्यापारा, पुरानी बस्ती, लाखेनगर, सुंदरनगर, डीडीनगर, खमतराई, टिकरापारा, शंकरनगर, तेलीबांधा आदि इलाके में सड़क किनारे फुटपाथ पर ट्रांसफार्मर लगे का फायदा उठाकर छोटे दुकानदार कब्जा जमाकर दुकान खोलकर व्यापार करना शुरू कर देते हैं। इन कब्जेबाजों को देखकर भी निगम का अमला और बिजली विभाग के जिम्मेदार मौन हैं।
हादसे का हर पल मंडरा रहा खतरा
अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके बिजली ट्रांसफार्मर पर हर पल हादसे का खतरा मंडरा रहा है। इसके बावजूद इसे हटाने को लेकर अब तक बिजली विभाग न तो कोई योजना बना पाया और न ही कोई पहल कर रहा है। हालांकि अधिकारी यह कह रहे हैं कि जिन स्थानों पर हादसे का खतरा बना हुआ है, वहां पर फेंसिंग कराई जा चुकी है।
ट्रांसफार्मर हटाने के लिए आवेदक को देना होगा खर्च
बिजली अधिकारियों ने बताया कि बिजली ट्रांसफार्मर हटाने के लिए रहवासियों की तरफ से आवेदन आने पर ही विचार किया जाएगा। इसके लिए ट्रांसफार्मर हटाने पर आने वाला खर्च विभाग नहीं, बल्कि नियमानुसार आवेदनकर्ता को देना होगा। एक ट्रांसफार्मर को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने में लाखों का खर्च आता है, यह खर्च विभाग तब वहन करेगा, जब खुद उसे हटाना पड़े। इसके लिए सीएम फंड से राशि मंजूर कराने का प्रविधान है।
ट्रांसफार्मर स्थापित करने को जगह की दिक्कत
नई जगह में ट्रांसफार्मर लगाने के लिए सबसे बड़ी दिक्कत खाली जगह का न मिलना भी है। कोई भी नहीं चाहता कि उसके घर के आसपास ट्रांसफार्मर स्थापित हो। जब भी नई जगह में ट्रांसफार्मर लगाए जाते हैं, वहां के रहवासी, जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर विरोध करने लगते हंै। यही नहीं, ट्रांसफार्मर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थापित करने से लोगों को बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराने में काफी दिक्कत होती है। गोलबाजार में स्वीकृत दो नए ट्रांसफार्मर इन्हीं दिक्कतों की वजह से स्थापित नहीं हो पा रहे हैं।
गोलबाजार में दीक्षित गली और पंजाब ज्वेलर्स के सामने स्वीकृत किए गए ट्रांसफार्मर दो साल से नहीं लग पा रहे हंै। इसके स्थापित होने से आसपास के तीन सौ से अधिक उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली व्यवस्था देने में आसानी होती। छोटी लाइन होने से बार-बार बिजली बाधित होने की समस्या नहीं आती। वर्तमान में तीन सौ मीटर की दूरी पर लगे ट्रांसफार्मर से रहवासियों को बिजली आपूर्ति कर पा रहे हैं।
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