फार्मासिस्ट दंपती ने लेमन ग्रास, सिट्रोनेला और पैरा (पुआल) के धागे से ऐसा कपड़ा तैयार किया है, जिससे निकलने वाली सुगंध से मच्छर, छिपकली समेत अन्य कीड़े दूर भागेंगे।
इतना ही नहीं, यह सुगंध तनाव को भी कम करेगा। उन्होंने इसका पेटेंट भी करा लिया है। इस कपड़े का धागा रायपुर में और कपड़ा राजकोट में तैयार किया जा रहा है। इससे अभी पर्दा, कारपेट, बैठने का आसन आदि ही तैयार किया जा रहा है।
रविकांत सोनी मूल रूप से रायपुर निवासी हैं तो उनकी पत्नी नम्रता दिवाकर का मायका गुजरात में है। दोनों फार्मासिस्ट हैं। उन्होंने लेमन ग्रास और सिट्रोनेला के औषधीय गुणों के आधार पर ही शोध कर विशेष प्रकार का कपड़ा तैयार किया है। यह उत्पाद केंद्र सरकार के जेम्स पोर्टल पर भी उपलब्ध है। गुजरात में इंकूबेशन सेंटर के लिए उन्हें आर्डर मिला है। वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे डा. विक्रम साराभाई की बेटी ने भी इन दोनों से संपर्क किया है।
फार्मासिस्ट दंपती
तीन से पांच वर्ष तक रहेगी खुशबू
नम्रता ने बताया कि इस कपड़े की सुगंध तीन से पांच साल तक बनी रहेगी। पहले लेमन ग्रास और सिट्रोनेला से तेल निकालने के बाद बचे हुए वेस्ट से पर्दा बनाना शुरू किया। इसकी सुगंध एक साल तक थी। अब जो धागा तैयार कर रहे हैं, उसकी सुगंध अलग-अलग देशों में हुए शोध के अनुसार तीन से पांच साल तक रहेगी। इसमें एरोमा है, जिसकी सुगंध से मच्छर, छिपकली आदि कीड़े दूर भागते हैं। इससे ठंडक भी रहती है। इस कपड़े की धुलाई मशीन से नहीं, हाथ से करनी होगी। यह कपड़ा बिछाने वाली चादर से मोटा और दरी से पतला है। इसे और पतला बनाने पर काम चल रहा है। इससे निर्मित चार गुना सात फीट के पर्दे की कीमत करीब दो हजार रुपये है। रविकांत ने बताया कि इसकी मशीन माडिफाई करा ली गई है जिससे बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकेगा।
धागा बनाने वाली मशीन का भी कराया पेंटेंट
रविकांत ने बताया कि जिस धागा से हम कपड़ा तैयार कर रहे हैं, उसे बनाने के लिए बाजार में मशीन नहीं मिल रही थी। देश के अलग-अलग राज्यों में संचालित बड़े इंजीनियरिंग संस्थानों से संपर्क किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर हमने अलग-अलग जगहों से पुर्जे खरीदकर स्वयं मशीन तैयार कराई। मशीन को पांच जनवरी 2023 को पेटेंट मिल गया है।
इंक्यूबेशन सेंटर के लिए मिला आर्डर
रविकांत ने बताया कि केंद्र और गुजरात सरकार मिलकर राजकोट में इंक्यूबेशन सेंटर बना रहे हैं। यहां पर्दा लगाने के लिए हमें आर्डर मिला है। डा. विक्रम साराभाई की बेटी मल्लिका सारा ने भी घर में पर्दा लगवाने के लिए संपर्क किया है। केंद्र सरकार की तरफ से फरवरी 2022 में हमें दुबई एक्सपो में भेजा गया था। वहां के एक होटल संचालक ने भी संपर्क किया था।
आइडिया के लिए अब तक 22 लाख की फंडिंग
नम्रता ने बताया कि पढ़ाई के दौरान औषधीय पौधों के गुणों के बारे में पढ़ा था। इसी को आधार बनाकर रायूश नेचुरल फेब्रिक नाम से स्टार्टअप शुरू किया। हमारे इस आइडिया को पेटेंट भी मिला। इसके लिए हमें अबतक लगभग 22 लाख रुपये का फंड मिल चुका है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से पांच लाख, स्टार्टअप इंडिया सीड से 10 लाख, बीलेंड एक्सीलेटर से साउथ एशिया सपोर्टेड बाय आइका से लगभग सवा लाख और ग्लोबल एक्सीलेटर नेटवर्क से पांच लाख मिला है।
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