सक्ती। जिले में एक ऐसा गांव है जहां ग्राम पंचायत का खुद का कानून चलता है। इस ग्राम पंचायत का कानून ऐसा है की यहाँ बहुत कम लोगो ही पुलिस की मदद लेने की जरूरत पड़ती है। सक्ती जिले की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने भी की इस गांव की सराहना की है।
दरअसल हम बात कर रहे है सक्ती जिले के ग्राम पंचायत परसाडीह की। जहां ग्राम पंचायत ने गांव में अपना ही कानून बनाया हुआ है। ग्राम पंचायत परसाडीह के कानून के हिसाब से नाबालिग को गुटखा बेचने पर दुकानदारों पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। वही गांव में अवैध शराब बिक्री करने पर 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसके अलावा चोरी, छेड़छाड़ सहित अन्य अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए यहाँ कड़ा कानून चलता है। यह कानून बीते 7 साल से निर्वाध है। इस कानून को ग्रामीणों का भी पूर्ण समर्थन मिलते आ रहा है।
सरपंच ने आबकारी विभाग की टीम को दिया इनाम
आपको बता दे की कुछ दिन पहले जब आबकारी विभाग की टीम ने छापेमारी करते हुए अवैध शराब पर कार्यवाही किया था तो ग्राम पंचायत सरपंच के तरफ से पांच हजार रुपये का चेक इनाम के तौर पर आबकारी विभाग को दिया गया था। वही इस ग्राम पंचायत द्वारा दंड की राशि को आवश्यकता अनुसार ग्राम पंचायत के विकास कार्यो में खर्च किया दिया जाता है।
क्यों बनाया गया यह कानून
ग्रामीणों का कहना है की गांव में छोटे उम्र से बड़े उम्र के लोग अक्सर शराब, जुआ और गांजा मे लिप्त रहते थे। जो शराब के नशे मे गांव में आए दिन गाली गलौज कर गांव का माहौल खराब करते थे। इन सबसे परेशान होकर ग्रामीणों ने यह निर्णय लिया की इस तरह के अवैध कार्य करने वालों पर ग्राम पंचायत द्वारा ही रोक लगाई जाए। इसी लिए यह कानून बनाया गया है।
दुकानदार ने कहा – 5 हजार रुपए का लगता है जुर्माना
ग्राम पंचायत परसाडीह में स्थित एक दुकान के संचालक ने बताया की गांव मे किसी भी दुकानदार द्वारा नाबालिक को गुटखा, सिगरेट या अन्य प्रकार की नशीली सामग्री बेचने पर ग्राम पंचायत द्वारा पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। जिसकी वजह से कोई भी दुकानदार नाबालिक को नशीली सामग्री नही बेचता।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने की गांव की सराहना
गांव के इस कानून से प्रभावित होकर सक्ती जिले की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गायत्री सिंह ने इस कानून की खुलकर सराहना की है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत द्वारा लागू किए गए इस कानून की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है। यह बहुत ही अच्छा निर्णय है क्योंकि जब खुद ग्राम पंचायत द्वारा इस तरह कानून लाया जाएगा तो लोगों को पुलिस की जरूरत काम ही पड़ेगी।
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