दिंडोशी की एक सत्र अदालत ने नाबालिग लड़की का पीछा करने और लड़की द्वारा 32 साल के शख्स के प्रति कोई रूचि नहीं दिखाने के बावजूद युवक द्वारा उसे बार-बार ‘आजा आजा’ कहने को लैंगिक अपराधों से नाबालिगों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध माना है।
घटना सितंबर 2015 की है, जब पीड़िता 15 साल की थी और कक्षा दसवीं की छात्रा थी। अदालत के सामने पेश होने पर लड़की ने बताया था कि जब वह पैदल चलकर अपने फ्रेंच ट्यूशन के लिए जा रही थी, तो वह शख्स जो उस समय लगभग 20 वर्ष का था, उसने साइकिल पर उसका पीछा किया था और बार-बार ‘आजा आजा’ बोलता था।
लड़की के अनुसार शख्स ने ऐसा कई दिनों तक किया। लड़की के अनुसार घटना के पहले दिन उसने सड़क पर चल रहे अन्य लोगों से मदद लेने की कोशिश की थी। उन्होंने उसका पीछा भी किया लेकिन युवक अपनी साइकिल से भाग गया था। युवती ने इस घटना के बारे में अपने ट्यूशन टीचर और माता-पिता को भी बताया था। घटना के कुछ दिनों बाद युवती ने पाया कि वही शख्स बगल की इमारत में चौकीदार के रूप में काम कर रहा था। ऐसे में लड़की ने इसकी जानकारी अपनी माँ को दी। इसके बाद मां ने पुलिस से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई।
गिरफ्तारी के बाद उस व्यक्ति ने रहम देने की मांग की थी और अदालत से कहा था कि उसकी एक पत्नी और तीन साल का बच्चा है और वह गरीब है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एजे खान ने उसे हालांकि अब छह महीने की सजा सुनाई है। हालांकि शख्स को अब जेल में नहीं रहना होगा। कोर्ट ने सितंबर 2015 में जब उसे गिरफ्तार किया गया था और मार्च, 2016, जब उसे जमानत मिली थी, के बीच जेल में रहने की अवधि को ही सजा माना।
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