यूपीएससी पास करने वाला हर शख्स खास होता है. उतनी ही खास होती है, उस मुकाम तक पहुंचने की दास्तां. किसी इंसान की कामयाबी तो सब देखते हैं, लेकिन वहां पहुंचने के लिए वह कितनी पीछे से आ रहा, उस सफर में उसने क्या कुछ सहा.
ये सही मायने में सिर्फ झेलने वाला ही समझ सकता है. आज की कहानी में आप जानंगे बिहार की पहली IPS महिला ऑफिसर मंजरी जरुहर की दास्तां को.
महिलाओं के हक में काम
मंजरी की कहानी सिर्फ यूपीएससी पास करने तक की नहीं. इस सफर से पहले उन्होंने एक और लड़ाई लड़ी. पुरुषों से. उनके समाज से. जिसमें पुरुषों की सहूलियतों वाले नियम हैं, उस पितृसत्तात्मक समाज से. इन्हीं चीज़ों से लड़ते हुए, इनका शिकार होते हुए मंजरी ने महिलाओं के हक में काम करने की ठानी.
कैसे IPS बनने की ठानी
मंजरी जरुहर अब रिटायर हो गई हैं, पूरे करियर में उन्होंने महिलाओं की दुर्दशा देखी है. पितृसत्तात्मक समाज की क्रूर प्रथाओं को औरतों के लिए और क्रूर होते देखा. उन्होंने अपने घर-परिवार में कई पुरुष IAS और IPS पद पर देखे. उन्हें मिलता मान-सम्मान मिलता देखा. उनके रुतबे को देख मंजरी ने IPS बनने की ठानी.
19 साल की उम्र में शादी
समाज के बने बनाए खांचें में मंजरी को फिट करने की भी एक एक कोशिश हुई. उन्हें घर का काम सिखाया. स्कूल में भी कढ़ाई-बुनाई सिखाई. खाना बनाना सिखाया. 19 साल की उम्र में शादी कर दी गई थी. लेकिन शादी टूटी. इसके बाद मंजरी ने किसी पर निर्भर न होना सीखा. खुद को संभाला.
1976 में सिविल सेवा प्रवेश परीक्षा पास
इसी दौर में उन्होंने दिल्ली आकर पढ़ाई की 1976 में सिविल सेवा प्रवेश परीक्षा पास की. उस समय में मंजरी जरुहर बिहार की पहली महिला IPS थी. इसके अलावा वे देश की पहली 5 महिला IPS अधिकारियों में से एक थीं. रिटायरमेंट के बाद बिहार की मंजरी जरुहर ने राइटिंग में हाथ आजमाया और फिर एक किताब भी पब्लिश हुई
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