Shaniwar Upay: शनिदेव भगवान की बनेगी कृपा

Advertisement

Shaniwar Upay: शनिदेव भगवान की बनेगी कृपा Shani Dosh Nivaran Upay शनिदेव न्याय के देवता और कर्म के फलदाता कहे जाते हैं। इस दिन विधि-विधान से शनि महाराज की पूजा अर्चना करने से जीवन की तमाम परेशानियां दूर होती हैं।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार शनिवार का दिन कर्मों के देवता भगवान शनिदेव को समर्पित है।

अगर आप शनिदेव के प्रकोप और साढ़ेसाती से परेशान है तो शनिवार के दिन ये खास उपाय जरूर करें.

शनिवार के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए।

अगर आप शनि देव का प्रकोप कम करना चाहते हैं तो इस दिन हनुमान जी की पूजा करें।

शनि देव को लोहा प्रिय है, शनिवार के दिन लोहा न तो खरीदें और न ही बेचें वरना शनिदेव का प्रकोप झेलना पड़ सकता है।

शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन काला तिल, काला छाता, सरसों का तेल, काली उड़द और जूते-चप्पल का दान करें।

शनिवार के दिन ऊं शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें. इससे कुंडली में शनि दोष समाप्त होता है।

शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिवार के दिन काले कुत्तों को रोटी खिलाना शुभ माना जाता है।

शनिवार के दिन नाखून, दाढ़ी और बाल नहीं कटवाना चाहिए. शनिदेव की भारी पीड़ा सहनी पड़ती है।

शनिदेव भगवान की बनेगी कृपा

Shani Dosh Nivaran Upay: शनिदेव न्याय के देवता और कर्म के फलदाता कहे जाते हैं। ये जातक को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यही वजह है कि शनिदेव को न्यायाधीश की उपाधि प्राप्त है। कहा जाता है कि जिस जातक के अच्छे कर्म होते हैं, उन पर शनिदेव की अच्छी कृपा बनी रहती है। वहीं जो व्यक्ति बुरे कर्मों में लिप्त रहता है, उन पर शनिदेव का प्रकोप बरसता है। शनिदेव की पूजा आराधना के लिए शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। इस दिन विधि-विधान से शनि महाराज की पूजा अर्चना करने से जीवन की तमाम परेशानियां दूर होती हैं। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष है तो शनिवार के दिन किए गए कुछ उपायों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में चलिए जानते हैं शनिदेव के कुछ उपायों के बारे में…

1- पीपल के पेड़ की पूजा
शनि दोष से मुक्ति के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें। शनिवार के दिन सूर्योदय से पूर्व पीपल के पेड़ की पूजा करके, जल अर्पित करते हुए तेल का दीया जलाने से शनि देव की कृपा हमेशा मिलती है।

2- शनिदेव के मंत्रों का जाप
शनिवार के दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए और साढ़ेसाती का प्रभाव कम करने लिए शनिदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। साथ ही इस दिन शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए।

3- हनुमान जी उपासना
शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। ऐसे में शनिदेव की कृपा पाने और कुंडली से शनि दोष को खत्म करने के लिए हनुमान जी पूजा अवश्य करें।

4- करें इन चीजों का दान
शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन काला तिल, काला छाता, सरसों का तेल, काली उड़द और जूते-चप्पल का दान करना चाहिए। इससे जीवन की समस्याएं कम होती हैं और शनि दोष भी कम होने लगता है। 

शनि चालीसा 

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।दीनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल।।जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।करहूँ कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।

जयति जयति शनिदेव दयाला, करत सदा भक्तन प्रतिपाला,
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै, माथे रतन मुकुट छवि छाजै।
परम विशाल मनोहर भाला, टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला,
कुण्डल श्रवन चमाचम चमके, हिये माल मुक्तन मणि दमकै।।

कर में गदा त्रिशूल कुठारा, पल बिच करैं अरिहिं संहारा,
पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन, यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन।
सौरी, मन्द शनि दश नामा, भानु पुत्र पूजहिं सब कामा,
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वै जाहीं, रंकहुं राव करैं क्षण माहीं।।

पर्वतहूँ तृण होइ निहारत, तृणहूँ को पर्वत करि डारत,
राज मिलत वन रामहिं दीन्हयो, कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो।
वनहूँ में मृग कपट दिखाई, मातु जानकी गई चुराई,
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा, मचिगा दल में हाहाकारा।।

रावण की गति-मति बौराई, रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई,
दियो कीट करि कंचन लंका, बजि बजरंग बीर की डंका।
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा, चित्र मयूर निगलि गै हारा,
हार नौलखा लाग्यो चोरी, हाथ पैर डरवायो तोरी।।

भारी दशा निकृष्ट दिखायो, तेलहिं घर कोल्हू चलवायो,
विनय राग दीपक महँ कीन्हों, तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों।
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी, आपहूँ भरे डोम घर पानी,
तैसे नल पर दशा सिरानी, भूंजी-मीन कूद गई पानी।।

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई, पारवती को सती कराई,
तनिक विकलोकत ही करि रीसा, नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा।
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी, बची द्रोपदी होति उघारी,
कौरव के भी गति मति मारयो, युद्ध महाभारत करि डारयो।।

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला, लेकर कूदि परयो पाताला,
शेष देव-लखि विनती लाई, रवि को मुख ते दियो छुड़ाई।
वाहन प्रभु के सात सुजाना, हय, दिग्गज, गर्दभ, मृग, स्वाना,
जम्बुक सिंह आदि नख धारी, सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं, हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै,
गर्दभ हानि करै बहु काजा, सिंह सिद्ध करै राज समाजा।
जम्बुक बुद्धि नष्ट करि डारै, मृग दे कष्ट प्राण संहारै,
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी, चोरी आदि होय डर भारी।।

तैसहिं चारि चरण यह नामा, स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा,
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं, धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं।
समता ताम्र, रजत शुभकारी, स्वर्ण सर्वसुख मंगल भारी,
जो यह शनि चरित्र नित गावै, कबहूँ न दशा निकृष्ट सतावै।।

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला, करैं शत्रु के नशि बलि ढीला,
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई, विधिवत शनि ग्रह शांति कराई।
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत, दीप दान दै बहु सुख पावत,
कहत ‘राम सुन्दर’ प्रभु दासा, शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।

पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार।।।। इति राम सुन्दर कृत श्री शनि चालीस सम्पूर्णम् ।।


डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये खबर लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए न्यूज़ इंडिया बुलेटिन उत्तरदायी नहीं है।

Updated: April 5, 2024 — 9:07 pm