ये होंगे छत्तीसगढ़ के चौथे नए सीएम
रायपुर: आख़िरकार, इंतिजार की घड़ी अब खत्म हुई अब भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ के नये सीएम की घोषणा कर दी है l
विष्णुदेव साय होंगे छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री, विधायक दल की बैठक में हो गया फाइनल फैसला l
कौन हैं विष्णुदेव साय ?
विष्णुदेव साय का जन्म 21 फवरी 1964 में जशपुर जिले के बगिया गांव में एक किसान परिवार में हुआ था l उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई कुनकुरी स्थित लोयोला हायर सेकेंडरी स्कूल से की है l उनका एक बेटा और दो बेटियां है, विष्णुदेव साय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1989 में ग्राम पंचायत बगिया के पंच के रूप में की थी l विष्णुदेव साय कुनकुरी विधानसभा से आते हैं, वे आदिवासी समुदाय से आते हैं l बीजेपी इस बार आदिवासी समुदाय से किसी को मुख्यमंत्री बना चुकी है l विष्णुदेव साय 2020 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं, सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं l इतना ही नहीं साय की गिनती संघ के करीबी नेताओं में होती है l वह रमन सिंह के भी करीबी हैं l साल 1999 से 2014 तक वह रायगढ़ से सांसद रहे हैं l मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में साय को केंद्र में मंत्री बनाया गया, जिसके बाद इन्होंने संगठन पद से इस्तीफा दे दिया था l
जानिए राजनीतिक सफर
विष्णुदेव साय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1989 में ग्राम पंचायत बगिया के पंच के रूप में की थी l इसके बाद 1990 में निर्विरोध सरपंच चुने गए l 1990 में उन्होंने पहली बार जिले के तपकरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीतकर अविभाजित मध्यप्रदेश में विधायक बने l 1999 से 2014 तक लगातार तीन बार रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए l 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार में इन्हें केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री का उत्तरदायित्व दिया गया थाl साय को संगठन में काम करने का भी लंबा अनुभव है l पार्टी ने उन्हें 2006 और 2020 में दो बार प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपा l वर्तमान में विष्णुदेव साय भाजपा के राष्ट्रीय कार्य समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं l
दादा और दो भाई भी रह चुके हैं विधायक
विष्णुदेव के दादा स्व. बुधनाथ साय 1947-1952 तक विधायक मनोनीत हुए l जनसंघ के समय विष्णुदेव के बड़े पिताजी स्व. नरहरि प्रसाद साय सन् 1962-1967 तक लैलूंगा विधानसभा से विधायक रहे l 1972-1977 तक बगीचा विधानसभा से विधायक रहे l 1967 से 1979 तक सांसद व केंद्रीय मंत्री रहेl बड़े पिताजी स्व. केदारनाथ 1967-1972 तक तपकरा विधानसभा से विधायक रहेl
बैठक में लगी नाम पर मुहर
छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री चुनने के लिए प्रदेश में तीन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई थी l भाजपा विधायक दल की बैठक में विष्णुदेव साय के नाम पर मुहर लगाई गई l छत्तीसगढ़ में तीनों पर्यवेक्षकों ने विधायक दल के नेता के नाम का एलान किया l
इन पर थी मुखिया के चुनाव की जिम्मेदारी
अर्जुन मुंडा- केंद्र सरकार में जनजातीय मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे अर्जुन मुंडा को भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ का पर्यवेक्षक बनाया हैl अर्जुन मुंडा झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं l इनके नाम सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है l 2003 में इन्होंने 35 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री का पद संभाला था l मुंडा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1980 के दशक की शुरुआत में की थीl जब वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व में झारखंड आंदोलन में शामिल हुए थे, जिसमें बिहार के दक्षिणी क्षेत्रों के आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य बनाने की मांग की गई थी l
2009 के संसदीय चुनावों में मुंडा जमशेदपुर निर्वाचन क्षेत्र से 15वीं लोकसभा के लिए चुने गएl भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक लोकप्रिय जननेता के रूप में उनकी मजबूत साख और अपने राज्य में पार्टी को मजबूत करने में उनकी महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया था l
सर्वानंद सोनोवाल- केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी, जलमार्ग एवं आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल भी पर्यवेक्षकों के पैनल में शामिल हैंl सोनोवाल असम के पूर्व मुख्यमंत्री भी रहे हैं l इस लिहाज से भी उन्हें ये जिम्मेदारी दी गई हैl इन्हें पूर्वोत्तर में भाजपा सरकार बनाने का अगुवा माना जाता है l सोनोवाल वर्ष 2012 और 2014 में दो बार असम भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं l 2014 में संपन्न 16वें लोकसभा के चुनाव में वे लखीमपुर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए l
इसके बाद केंद्रीय मंत्रीमंडल में उन्हें खेल एवं युवा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत खेल एवं युवा मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद दिया गया था l केंद्रीय खेल मंत्री के रूप में इनका कार्यकाल 26 मई 2014 से 23 मई 2016 तक रहा l
दुष्यंत कुमार गौतम- संगठन का लंबा अनुभव रखने वाले भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार को भी पार्टी ने पर्यवेक्षक का दायित्व सौंपा है l वे हरियाणा से राज्यसभा सांसद भी रहे हैं l इस तरह इनके राजनीतिक और संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए हुए इन्हें छत्तीसगढ़ में सीएम की तलाश की जिम्मेदारी दी गई है l इसके अलावा वे भाजपा संगठन के अलग-अलग पदों पर रह चुके हैं l दुष्यंत गौतम दिल्ली विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं l छात्र राजनीति में सक्रिय रहे दुष्यंत गौतम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और पढ़ाई खत्म करके मंडल अध्यक्ष बनेl वहीं तीन बार वे भाजपा अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष रहे l
1997 में पहली बार जिला पार्षद का चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था l अटल बिहारी वाजपेयी के आदर्श को अपनाकर दुष्यंत गौतम ने राजनीतिक जीवन में काम कियाl साथ ही उन्होंने चुनावी राजनीति की जगह संगठन में काम करने पर जोर दिया l
5 साल के गैप के बाद भाजपा की वापसी
बता दें कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने बंपर जीत हासिल की है l 2018 की तुलना में भाजपा ने अपना प्रदर्शन सुधारते हुए प्रदेश की सत्ता में वापसी की l 54 सीटों के साथ बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में सरकार बनाई है l वहीं कांग्रेस 68 सीट से लुढ़ककर महज 35 सीटों तक ही सिमटकर रह गई l वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 1 सीट पर कब्जा किया है l